बंगाल शैली के कलाकरों में से एक अब्दुर रहमान चुगताई (Abdur Rahman Chughtai) भी हैं। इन्होंने बंगाल शैली से अपनी कला शैली की शुरुआत की और फिर आगे चल के उसे एक नयी कला शैली में विकसित किया। मुगल कला, लघु चित्रकला और इस्लामी कला परंपराओं ने इनकी कला शैली को बहुत प्रभावित किया।
संक्षिप्त जीवन
अब्दुर रहमान चुगताई (Abdur Rahman Chughtai) का जन्म 21 सितंबर 1897 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में है, में हुआ था। उनके पिता का नाम करीम बक्श था। वे अपने पिता के दूसरे बेटे थे। इनका ख़ानदान शिल्पकारों, वास्तुकारों और सज्जाकारों का वंशज था। वे पीढ़ी दर पीढ़ी चले आने वाले कलाकारों के एक प्रमुख पंजाबी मुस्लिम परिवार से थे।
चुगताई अपने छोटे भाई अब्दुल्ला चुगताई के ज़्यादा क़रीब थे। उनका भाई इस्लामिक कला के विद्वान व खोजकर्ता थे। 17 जनवरी 1975 को पाकिस्तान के लाहौर में इनका देहांत हुआ था।
अब्दुर रहमान चुगताई (Abdur Rahman Chughtai) की कला शिक्षा
चुगताई ने नक़्क़ाशी का काम अपने चाचा बाबा मरीन शाह से सिखा। उनके चाचा नक्कश थे जिन्होंने चुगताई को स्थानीय मस्जिद में नक़्क़ाशी का काम सिखाया। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा 1911 में रेलवे टेक्निकल स्कूल, लाहौर से पूरी की। इसके बाद, चुगताई मेयो स्कूल ऑफ़ आर्ट्स, में शामिल हो गए। उस समय वहाँ अबनिंद्रनाथ टैगोर के शिष्य समरेंद्रनाथ गुप्ता उप-प्रिंसिपल थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए एक फोटोग्राफर और ड्राइंग शिक्षक के रूप में काम किया। आख़िरकार चुगताई मेयो स्कूल(Mayo School) में क्रोमो-लिथोग्राफी (Chromo-lithography)में मुख्य प्रशिक्षक बन गए।
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विभाजन के बाद पाकिस्तान के प्रमुख चित्रकार
भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान नए देश के रूप में अस्तित्व में आया। पाकिस्तान के बन जाने के बाद चुगताई वहाँ के राष्ट्रीय चित्रकार बने। वे पाकिस्तान के पहले महत्वपूर्ण व मुस्लिम आधुनिक चित्रकार माने गए। बाद में पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित भी किया था।
अब्दुर रहमान चुगताई की कला
- चुगताई एक चित्रकार, और बुद्धिजीवी थे। उनको बंगाल शैली के चित्रकारों में गिना जाता है।
- उनके प्रारम्भिक कला शैली बंगाल शैली के जलरंग के समान थी।
- शुरुआती कुछ चित्रों में अबनिंद्र बाबू का प्रभाव भी दिखता है।
- ये मुगल कला, लघु चित्रकला और इस्लामी कला परंपराओं से बहुत प्रभावित थे। अतः इन सभी से प्रेरित हो कर उन्होंने अपनी अलग, विशिष्ट चित्रकला शैली विकसित की थी।
- वैसे तो चुगताई ने जलरंग में काफ़ी काम किया थे।
- वे एक अच्छे प्रिंट मेकर भी थे। उन्होंने लगभग 2000 से अधिक जलरंग चित्र, हज़ारों रेखाचित्र, व लभग 300 के आस पास प्रिंट बनाए।
- 1920 में इनकी पहली चित्रकला प्रदर्शनी पंजाब फ़ाइन आर्ट सोसायटी में हुयी थी।
- इसी दौरान अन्य कई प्रदर्शनियाँ की। अब तक वे काफ़ी प्रसिध्द हो गए थे।
- इनके चित्रों का संग्रह विश्व के सभी प्रमुख संग्रालयों व गैलरियों में संरक्षित है।
चुगताई के चित्र
- मरक्का-ए-चुगताई
- मक़लत ए चुगताई
- नक़्शा ए चुगताई
उबलब्धियाँ
- 1934 में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य ने उन्हें खान बहादुर की उपाधि दी थी।
- पाकिस्तानी बनाने के बाद उन्हें पाकिस्तान का राष्ट्रीय चित्रकार माना गया।
- 1958 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 1960 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें हिलाल-ए-इम्तियाज (क्रिसेंट ऑफ एक्सीलेंस) पुरस्कार से सम्मानित किया।
- इन्होंने कई स्टाम्प, सिक्के व बिल्ले डिज़ाइन किए। कई किताबों के बुक कवर भी अपने डिज़ाइन किए’।
निष्कर्ष
भारत विभाजन से पूर्व चुगताई एक भारतीय बंगाली शैली के चित्रकार थे। इन्होंने प्रमुख रूप से जलरंग माध्यम में काम किया। इसके अलावा ये अच्छे प्रिंट मेकिंग कलाकार रहे।
पाकिस्तान के बनाने के बाद ये पाकिस्तान के राष्ट्रीय चित्रकार बन गए। पाकिस्तान के पहले मुस्लिम आधुनिक कलाकार कहलाए। आगे चल के पाकिस्तान ने इन्हें सम्मानित भी किया। निसंदेह विभाजन के बाद ये पाकिस्तानी चित्रकार के रूप में इस दुनिया से गए। मगर इनकी कला आत्मा में बंगाल शैली जैसी भारतीयता विधमान थी। बंगाल स्कूल के बाद के चित्रकारों में इनका नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है।
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