bangal school

असित कुमार हल्दार | Asit Kumar Haldar

इस लेख से पहले बंगाल स्कूल के प्रमुख चित्रकारों  पर लेख इस ब्लॉग में प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पूर्व अवनिंद्रानाथ टेगौर, नंदलाल बोस, देवी प्रसाद राय चौधरी लेख प्रकाशित हुए है। इनके बाद ये लेख असित कुमार हाल्दार (Asit Kumar Haldar) के जीवन पर आधारित है। चलिए निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर असित कुमार हाल्दार (Asit Kumar Haldar) की जीवन व कला पर प्रकाश डालते हैं:

संक्षिप्त जीवन परिचय

1890 में असित कुमार हाल्दार का जन्म जोड़ासांको (कलकत्ता) में हुआ था। बचपन से ही वे चित्रकला की ओर आकर्षित थे। बाद में उनके दादा ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया। गौर तलब है की उनके दादा उस समय लंदन विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्राध्यापक थे। 1905 में उन्होंने कोलकाता के गवर्न्मेंट स्कूल ओफ़ आर्ट्स में प्रवेश लिया।

यहाँ ये अबनि बाबू के शिष्य बने। इसके अतिरिक्त उन्हें यहाँ नंदलाल बोस, सुरेंद्रनाथ गांगुली, तथा शारदा चरण उकील जैसे प्रतिभाशाली छात्रों का साथ मिला। यही चित्रकार आगे चल के भारतीय चित्रकला इतिहास में महतवपूर्ण चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध हुए।

कला अध्ययन के दौरान ही ये ई वी हेवेल व डॉ आनंद कुमार स्वामी जैसे कला विद्वानों से प्रभावित हुए। परिणामस्वरूप, अपने कला योगदान से इन्होंने बंगाल शैली को आगे बड़ाय व कला को नए आयाम दिए।

भित्तचित्रों का प्रतिलिपि चित्रण

उस समय कला के क्षेत्र में कई सारे अनुसंधान व खोजें हो रही थी। अजंता, अन्य कई गुफाओं व प्राचीन स्मारकों के चित्रों की प्रतिलिपियाँ बनाई जा रहीं थी।

प्रतिलिपियों के बनाने वाले चित्रकारों के समूह में असित को भी शामिल किया गया। इन्होंने इस प्रकार इस काम में अपना योगदान दिया:

  • लेडी हरिंघम की अध्यक्षता में अजंता की प्रतिलिपियाँ 1910 में बनायीं गयीं।
  • इनकी प्रतिलिपियाँ बनाने में नंदलाल बोस के साथ आप भी थे।
  • 1914 में पुरातत्व विभाग के अंतर्गत मध्य प्रदेश में रतनगढ़ की पहाड़ी स्टेट गए।
  • रतनगढ़ की पहाड़ी स्टेट में जोगिमार की गुफाओं की प्रतिलिपियाँ बनायीं।
  • इस काम में इनके साथ समरेंद्रनाथ गुप्त भी साथ थे।
  • 1917 में, बाघ की गुफाओं में अनुसंधान किया।
  • नंदलाल बोस व सुरेंद्रनाथ के साथ  1921 में इन गुफाओं के चित्रों की प्रतिलिपि बनयी।

Related Post


असित कुमार हाल्दार (Asit Kumar Haldar) की कला

  • असित कुमार हाल्दार एक कुशल चित्रकार थे। उन्होंने जल रंग, टेम्परा तथा तैल रंग में काम किया।
  • उन्होंने चित्रकला में नये-नये प्रयोग किए।
  • वे एक अच्छे चित्रकार होने के साथ-साथ एक शिल्पकार, कवि, लेखक व कला शिक्षक भी थे।
  • उन्होंने अजंता व अन्य प्राचीन गुफाओं के भित्त चित्रण की प्रतिलिपि बनाईं।
  • इन प्राचीन कलाओं की प्रतियाँ बनाकर वे एक अच्छे भित्तिय चित्रकार के रूप में भी प्रसिद्ध हुए।
  • उन्होंने लकड़ी पर लाख की वार्निश कर के टेम्परा की एक नयी तकनीक विकसित की थी। इस तकनीक को लेसिट (Lacsit) नाम दिया।
  • हल्दर ने 1923 में यूरोप की यात्रा की। जल्द ही उन्हें समझ आज्ञा की यूरोप के यथार्थवाद में सीमाएँ हैं।
  • अतः उन्होंने भारतीय आदर्शवाद को चुना। उन्होंने 32 चित्र बुध के बनाएँ।
  • इन्होंने इतिहासिक घटनाओं पर आधारित 30 चित्र बनाए। इनके इन चित्रों को उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रकाशित भी किया था।
  • उन्होंने विविध विषयों के अनेक चित्र-ग्रंथों की रचना की जिसमें मेघदूत, ऋतु-संहार, उमर ख़य्याम, तथा रामायण आदि प्रमुख हैं।
  • इनके अन्य महत्वपूर्ण चित्र हैं:
  • कृष्णा और यशोदा
  • अवेकनिंग ओफ़ मदर इंडिया
  • कुणाल और अशोक
  • रासलीला
  • थे फ़्लेम ओफ़ म्यूज़िक
  • राम और गृह

लेखक व कवि के रूप में

जैसा कि बताया जा चुका है के वो एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने भारतीय इतिहासिक घटनाओं पर एक किताब लिखी। इस किताब का नाम “इण्डियन कल्चर अत ए ग्लान्स” है। उन्होंने मेघदूत की रचना व उसकी ऋतु-संहार का अनुवाद बंगला में किया। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत में अनेक लेख भी लिखे। वे एक अछे कवि भी थे।

कला शिक्षक के रूप में

चित्रकार के अलावा वे कला शिक्षक के रूप में भी काफ़ी लोकप्रिय हुए। उन्होंने जयपुर, लखनऊ व शांतिनिकेतन में कला शिक्षण में महतवपूर्ण योगदान किया। उन्होंने कला शिक्षक के रूप में राजस्थान स्कूल ओफ़ आर्ट्स काम किया। फिर जयपुर में, लखनऊ स्कूल ओफ़ आर्ट्स में कई सालों तक अपनी सेवाएँ दीं।

उन्होंने एक कुशल मूर्तिकार के रूप में भी काम किया। उन्होंने स्टोन, कांस्य व लकड़ी की मूर्तियाँ बनायीं। उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोरे की एक प्रतिमा बनयी। जिसे देख के रवीन्द्रनाथ टैगोरे काफ़ी प्रभावित हुए थे। यह प्रतिमा इस समय इलाहाबाद संग्रालय में सुरक्षित है।

निष्कर्ष

बंगाल स्कूल के दूसरी पीडी के चित्रकार असित कुमार हाल्दार हैं। यह अबनि बाबू के शिष्य थे। इन्होंने कई कला विध्यालय में अपनी सेवाएँ दी व कला का उचित विकास व प्रचार किया।

चित्रकार, शिल्पकार, लेखक, कवि तथा कला शिक्षक के रूप में कला जगत में अपना अमूल्य योगदान दिया। अजंता व अन्य प्राचीन गुफाओं के चित्रों की प्रतिलिपि बनायीं। प्रतिलिपियाँ बनाने वाले चित्रकारों में आपका नाम भी है जो आपको अमर बनता है। इनके बनाए चित्र आज भी देश व विदेश के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।


लेटेस्ट पोस्ट


Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!