Realism in Art

कला में यथार्थवाद (1800-1899) | Realism in Art

यूरोपीय कला इतिहास के नज़रिये से यथार्थवाद कला (Realism in Art) आंदोलन बहुत महतवपूर्ण है। रोमांसवाद ने कला की एक नयी सोच को जन्म दिया था। उसी सोच को और भी यथार्थ यथार्थवाद कला (Realism in Art) आंदोलन ने बनाया। वास्तव में ये आंदोलन फ़्रान्स में हुआ था। अतः 1848 फ़्रान्स की क्रांति का भी प्रभाव इस कला आंदोलन पर पड़ा। इस आंदोलन के चित्रकारों ने पारम्परिक चित्रकला के सिद्धांतों को नकार दिया। उन्होंने प्राकृति व सामान्य जीवन को हुबहू चित्रित करना प्रारम्भ किया।


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Honore_Daumier_Crispin_and_Scapin_(1864),_oil_on_canva

यथार्थवाद कला (Realism in Art) की पृष्ठभूमि

  • यथार्थवाद कला (Realism in Art)आंदोलन फ़्रान्स में १९वीं शताब्दी में मध्य में हुआ।
  • फ़्रान्स में 1848 की औद्योगिक क्रांति का उदय हुआ। फलस्वरूप श्रीमिकों के जीवन का महत्व बड़ा।
  • एक ओर फ़्रान्स की क्रांति में लोगों ने लोकतांत्रिक सुधार के लिए संघर्ष किया।
  • दूसरी ओर यथार्थवादी चित्रकार श्रीमिक व सामान्य वर्ग के जीवन को अपने चित्रण का विषय बनाने लगे थे।
  • इससे पूर्व रोमांसवादी चित्रकारों ने पारम्परिक कला के विपरीत विषयों को चुना।
  • रोमांसवाद ने कला में समकालीन विषयों को जगह दी।
  • जेरिको की पेंटिंग मेदुसा का बेड़ा इसका जीता जगत उदाहरण है।
  • अतः रोमांसवाद से एक कदम ओर आगे बड़ते हुए यथार्थवाद ने समकालीन में ही सामान्य जीवन को चुना।
  • यथार्थवाद में पारम्परिक कला के नियमों को दरकिनार कर दिया गया।
  • यथार्थवाद कला आंदोलन से कला के क्षेत्र में व्यापकता आयी।
  • कलाकरों को अपने निजी विचारों व स्वभाविक रुचियों को अभिवियक्त करने का अवसर मिला।

प्रवृत्तियाँ

यथार्थवाद कला आंदोलन में दो प्रकार की प्रवृत्तियों का जन्म हुआ। ये प्रवृत्ति चित्रण के विषयों के अनुरूप थी। अतः यथार्थवाद कला की दो प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं:

  1. काव्यमय प्रवृत्ति व
  2. सामाजिक जीवन की प्रवृत्ति
काव्यमय प्रवृत्ति

इस प्रवृत्ति के चित्रकारों ने प्राकृति को अपने चित्रों में महत्व दिया। यह प्रवृत्ति बहुत ही महत्वपूर्ण थी। इसमें प्राकृति का प्रत्यक्ष चित्रण किया गया। इस प्रवृत्ति को मानने वाले चित्रकारों में रूसो, चार्ल्स दोबिग्नि, मिले व कोरो प्रमुख थे। ये चित्रकार पेरिस के निकट का एक गाँव में जाकर प्राकृतिक चित्रण करते थे। इस गाँव का नाम बार्ब्रिजां था। इसी गाँव की वजह से ये चित्रकार बार्ब्रिजां चित्रकार कहलाए।

सामाजिक जीवन की प्रवृत्ति

इस प्रवृत्ति में चित्रकारों ने सामाजिक जनजीवन को अपने चित्रों के लिए चुना। उन्होंने पीड़ित जनता के दुखी जीवन को चित्रों में उकेरा। इस में परिवारिक जीवन, पिकनिक, घरेलू खेल, उत्सव, व त्यौहारों के दृश्यों को चित्रों में प्रमुखता से जगह मिली। चित्रकारों ने अपनी कला को सामाज से जोड़ने का सफल प्रयास किया। अतः स्वभाविक था कि ये चित्रकारों शास्त्रीय विषयों व नियमों की अवहेलना करें।

यथार्थवाद कला (Realism in Art) की विशेषताएँ

  • यथार्थवाद आँखों को देखने वाले हुबहू दृश्य को चित्रों में उतरने का प्रयास है।
  • इसको फ़ोटोतुल्य चित्रण भी कह सकते हैं जिसमें जैसा दिख रहा है वेसा ही बनाया जाय।
  • यथार्थवाद जीवन, परिप्रेक्ष्य और प्रकाश और रंग के विवरण का सटीक चित्रण है।
  • कलाकारों ने अपने रोजमर्रा के जीवन को चित्रित किया और परिवेश बिल्कुल वैसा ही रखा जैसा उन्होंने उन्हें देखा।
  • जो जैसा है वेसा हाई बनना है, उसमें ना कुछ जोड़ना है और ना घटना है।
  • इस कला आंदोलन में सामाजिक व प्राकृतिक विषय बनाए गए।
  • प्राकृतिक चित्रण में प्रकाश के प्रभावों को यथार्थवादी रूपों में व्याप्त किया गया।आगे चल के इस प्रवृत्ति से प्रभाववाद का उदय हुआ।
  • सामाजिक जीवन व पीड़ित समाज के सभी नज़रंदाज़ किए गए पहलुओं को यथार्थवाद कला में जगह मिली।
Realism in art_Honore_Daumier_The_Third-Class_Carriage
Realism in art_ Honore_Daumier_The_Third-Class_Carriage
Realism in art_Honore_Daumier_Chess_players
Honore_Daumier_Chess_players

चित्रकार

प्राकृतिक चित्रण व सामाजिक चित्रण के अनुसार तो यथार्थवादी कला आंदोलन में कई चित्रकार हैं। मगर सामाजिक चित्रण में मुताबिक़ ये दो चित्रकारों का नाम जयदा है:


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निष्कर्ष

रोमांसवाद ने कला को शास्त्रीय व पारम्परिक कला से बाहर निकलने का काम किया था। रोमांसवादी कला में पहली बार समकालीन घटनाओं, साहसिक संस्मरणों पर चित्र बनाए गए। ये कहीं का कहीं यथार्थवाद की एक शुरुआत थी। रही सही कसर फ़्रान्स की औद्योगिक क्रांति ने पूरी कर दी। इस क्रांति से श्रीमिक वर्ग व सामान्य जनजीवन को महत्व दिया जाने लगा।

अतः यथार्थवादी चित्रकारों ने पहले से चलते आ रहे सभी कला के नियमों को नहीं माना। उन्होंने जैसा देखता है वेसा चित्रण करने पर ज़ोर दिया। विषयों में सामाजिक व प्राकृतिक जीवन को चुना। समाज के पीड़ित, रोज़मर्रा के दृश्यों को महत्व दिया। फ़ोटो तुल्य चित्रण किया जाने लगा। वास्तव में कला के इतिहास में ये एक नया युग था जिसने प्राकृतिक व सामान्य जीवन की वास्तविकता को दिखाया। इस आंदोलन ने कला को विकसित करने में प्रभाववाद कला आंदोलन की नींव रखी।

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