Indian Art

अब्दुर रहमान चुगताई | Abdur Rahman Chughtai

adur rahman chughtai

बंगाल शैली के कलाकरों में से एक अब्दुर रहमान चुगताई (Abdur Rahman Chughtai) भी हैं। इन्होंने बंगाल शैली से अपनी कला शैली की शुरुआत की और फिर आगे चल के उसे एक नयी कला शैली में विकसित किया। मुगल कला, लघु चित्रकला और इस्लामी कला परंपराओं ने इनकी कला शैली को बहुत प्रभावित किया। संक्षिप्त […]

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Amrita Sher-Gil (अमृता शेरगिल)

Amrita Sher-gil_Indian Modern Artist_young girls

अमृता शेर-गिल (Amrita Sher-Gil) का नाम आज भारतीय कला जगत में सबसे चर्चित चित्रकारों में से एक है। जहां एक ओर उनकी कला की बात होती है। वहीं दूसरी ओर उनके व्यक्तिगत जीवन की बेबाकी के लिए भी वे जानी जातीं हैं।

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असित कुमार हल्दार | Asit Kumar Haldar

bangal school

इस लेख से पहले बंगाल स्कूल के प्रमुख चित्रकारों  पर लेख इस ब्लॉग में प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पूर्व अवनिंद्रानाथ टेगौर, नंदलाल बोस, देवी प्रसाद राय चौधरी लेख प्रकाशित हुए है। इनके बाद ये लेख असित कुमार हाल्दार (Asit Kumar Haldar) के जीवन पर आधारित है। चलिए निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर असित कुमार

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देवी प्रसाद राय चौधरी (D P Rai Chaudhary) 

D P Rai Chaudhary_Bangal School

पदम भूषण डी. पी. राय चौधरी (D P Rai Chaudhary) एक प्रसिद्ध मूर्तिकार व चित्रकार हैं। कांस्य में निर्मित इनकी मूर्ति आज सम्पूर्ण भारत में देखने को मिल जाती ही। ये वो मूर्तिकार हैं जिनकी बनाई मूर्तियों के चित्र भारत के नोट (पत्र मुद्रा) पर भी अंकित की गयी। तो चलिए इस महान कलाकार के

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कालिदास संस्कृत अकादमी (Kalidas Sanskrit Academy)

Kalidas Sanskrit Academy

महाकाल की नगरी में कला का तीर्थस्थल कालिदास संस्कृत अकादमी (Kalidas Sanskrit Academy) भारत के प्रमुख कला केंद्रों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है। जैसा कि नाम से ही ज्ञात है, यह केंद्र महाकवि कालिदास के नाम पर है। यह केंद्र कालिदास की साहित्यिक विरासत को ना केवल

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नंदलाल बोस | Nandalal Bose Painting Style | Bangal School

Nandalal Bose_Bangal School of Art

बंगाल शैली के आधार स्थम्भ चित्रकारों में से एक पद्म भूषण नंदलाल बोस है। इन्होंने ना केवल भारतीय कला को पुनर्जिवित करने में सहयोग किया। बल्कि भारतीय संविधान पर भी अपनी चित्रकारी की छटा बिखेरी। बंगाल शैली के इस महान चित्रकार का योगदान अतुलनीय है। चलिए इस महान चित्रकार के व्यक्तित्व व कला के दर्शन

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Company School | कम्पनी स्कूल या कम्पनी शैली | पटना शैली

Mueen Akhtar

कम्पनी स्कूल (Company School) या कंपनी शैली या पटना स्कूल कही जाने वाली ये कला शैली भारत में 18वीं व 19वीं सदी में विकसित हुयी| कम्पनी स्कूल (Company School) पटना स्कूल या पटना कलम भी कहा गया।  ये शैली यूरुपीय कला शैली व मुग़ल शैली के मिश्रण से उदित हुयी| यह शैली कम्पनी शैली (Company

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Abanindranath Tagore (अवनिंद्रानाथ टेगौर)|बंगाल स्कूल के संस्थापक

abanindranath tagore

20वीं सदी के आधुनिक कला आंदोलन को एक नयी दिशा देने वाले कलाकार अवनिंद्रानाथ ठाकुर (Abanindranath Tagore) हैं। अवनींद्रनाथ टैगोर (Abanindranath Tagore) बंगाल स्कूल के मर्गदर्शक के रूम में उभरे। उस समय भारतीय कला को एक नयी ऊर्जा व दिशा की ज़रूरत थी। इस ज़रूरत को ई वी हेवेल के साथ में अवनींद्रनाथ टैगोर (Abanindranath

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Bangal School | बंगाल स्कूल

बंगाल स्कूल

बंगाल स्कूल Bangal School आधुनिक भारतीय कला का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। बंगाल स्कूल Bangal School एक नयी कला शैली के साथ-साथ एक आंदोलन भी था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश ग़ुलामी से भारतीयता को जीवित रखना  भी था। वैसे तो ये कम्पनी शैली (Bangal School) के बाद बंगाल में पुनरुत्थान की कला के रूप में उदय

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चित्रकला के सिद्धांत

चित्रकला के सिद्धांत

भारतीय चित्रकला के अंग भारतीय चित्रकला के सिद्धांत या चित्रकला के छह अंग का उल्लेख सबसे पहले वात्स्यायन के कामसूत्र में मिलता है। यह ग्रंथ ६०० से २०० ईसा पूर्व की रचना है। इसके अलावा, जयपुर के निवासी यशोधर पंडित ने 11 वीं शताब्दी में इसकी टींका किया। इन प्राचीन चित्रकला के सिद्धांत को एक

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