प्राकृतिक चित्रण व सामाजिक चित्रण के अनुसार तो यथार्थवादी कला आंदोलन (Realism Art Movement) में कई चित्रकार हैं। मगर सामाजिक चित्रण में मुताबिक़ ये दो चित्रकारों का नाम ज़्यादा प्रसिद्ध है:
ओनोर दोमिय (Honore Daumier)
परिचय
ओनोर दोमिय (Honore Daumier)का जन्म फ़रवरी 1808, मार्सिले (फ़्रान्स) में हुआ था। ओनोर दोमिय (Honore Daumier) यथार्थवादी कला आंदोलन का एक महतवपूर्ण चित्रकार था। वह एक कार्टूनिस्ट, चित्रकार लिथॉग्रफ़र व मूर्तिकार थे। उसने अपने समय की राजनीति व समाज पर अपने कार्टून के माध्यम से व्यंग्य किया। तत्कालीन सामाजिक व राजनैतिक परिवेश में उसके कार्टून काफ़ी प्रसिद्ध हुए।
व्यंग्यात्मक लिथोग्राफर के रूप में
- ओनोर दोमिय (Honore Daumier) एक लिथॉग्रफ़र थे। जिन्होंने अपने व्यंग चित्रों को लीथोग्राफ़ी के माध्यम से बनाया।
- उन्होंने अपने व्यंग चित्रों के माध्यम से मानव जीवन की कमियों व अहंकार को व्याप्त किया।
- उनकी कला की शुरुआत एक व्यंग्य चित्रकार के रूप में हुई थी। उन्होंने लगभग ४० वर्षों में बहुत से व्यंग्य चित्र बनाए।
- इन वर्षों में उन्होंने लगभग चार हज़ार व्यंग्य चित्र बनाये।
- उनको उनके चित्रों के माध्यम से कम व व्यंग्य चित्रों के माध्यम से ज़्यादा प्रसिद्धि मिली।
यथार्थवादी चित्रकार के रूप में
- दोमिये की कला में ही यथार्थवाद कला आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है।
- हालाँकि उनके समय में उनके व्यंग्य चित्रों को लोगों में जल्दी प्रसिद्धि मिली।
- फिर भी यथार्थवाद कला आंदोलन के वे पहले चित्रकार माने जाते हैं।
- इसकी वजह उनके चित्रों के विषय हैं। उन्होंने तत्कालीन सामान्य जीवन व लोगों को अपने चित्रों में उकेरा।
- इनके चित्रों में अक्सर गरीब, धनी, वकील, डॉक्टर, न्यायधीश, व्यापारी, भिकारी व चोर प्रमुखता से दिखाई देते हैं।
- उपरोक्त उल्लेखित लोगों को बनाने में दोमिये ने उनके मनोभावों को अपने चित्रों में सुंदरता से उल्लेखित किया।
- उन्होंने कई सारे रेखा चित्र व तैल चित्रों का सृजन किया।
- सच कहें तो समाज में व्याप्त तत्कालीन सामाजिक अनदेखी बुराई, कमजोरी व सत्यता को उन्होंने अपने चित्रों में दिखाया है।
- इसी कारण इनको यथार्थवाद कला आंदोलन का प्रेरणता कहा जाता है।
मूर्तिकार के रूप में
प्रिंट्मेकिंग, रेखाचित्र व तैलचित्रण के अतिरिक्त दोमिये एक मूर्तिकार भी थे। उनकी मृत्यों में ग़ज़ब के मनोभावों को दिखाया गया है। यहाँ उनकी बनयी गयीं कुछ मूर्तियों पर अगर नज़र डालिए। इन मूर्तियों के चेहरों पर भाव देखने योग्य हैं। साधारण रूप में चेहरों पर मनोभावों की अभिव्यक्ति शानदार है। शायद इनकी इसी योग्यता के चलते इन्हें यथार्थवादी कला आंदोलन का प्रेरणता माना गया है।
दोमिय के प्रमुख चित्र
- दो वकील (The Two Lawyers)
- तीसरी श्रेणी का डिब्बा (The Third Class Carriage)
- द मिलर (The Miller)
- हिस सन एंड द डांकी (His son & the Donkey)
निष्कर्ष
दोमिये की कला तत्कालीन समाज का सजीव दर्पण थी। उन्होंने अपने प्रिंट्मेकिंग, रेखाचित्र व पेंटिंग के माध्यम से तत्कालीन समाज व लोगों के मनोभावों को दिखाया। उनके द्वारा बनाए गए मूर्ति शिल्प में भी उल्लेखनीय भावों को दिखाया गया है। अतः कहना ग़लत नहीं होगा कि उनके चित्र यथाथवादी कला के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। गुस्तव कुर्वे और दोमिये ने ही अपनी कला से यथार्थवाद को एक दिशा दिखाई।
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