क्लोड मोने (Claude Monet) एक प्रभाववादी चित्रकार था। क्लोड मोने (Claude Monet) को प्रभववाद की कला का जनक भी माना जाता हैं। इस लेख से पहले प्रभाववाद की कला के लेख में बता जा चुका है कि प्रभाववाद की कला का उदय कैसे हुआ। उस लेख को भी आप ज़रूर पड़ें।
(अवश्य पढ़े: प्रभाववाद की कला )
चलिए एक नज़र डाल लेते हैं जिनके आधार पर क्लोड मोने (Claude Monet) की कला जीवन के बारे में हम अध्ययन करेंगें:
- परिचय
- क्लोड मोने (Claude Monet) का संक्षिप्त जीवन
- मोने (Monet) की कला
- प्रभाववाद (Impressionism) के जनक के रूप में
- चित्र ऋंखला बनाने वाला चित्रकार
- निष्कर्ष
परिचय
क्लोड मोने (Claude Monet) आधुनिक चित्रकला का एक बहुत ही महत्वपूर्ण चित्रकार था। अपने संघर्षपूर्ण जीवन में लगातार कला कर्म कर के उसने सिद्ध किया कि वह एक सच्चा चित्रकार था। अपने चित्र ऋंखला के लिए प्रसिद्ध मोने अपने जीवन में बहुत काम किया। उसने कला को विस्तार दिया व नयी-नयी कला धाराओं को पनपने का माहौल बनाया। मोने प्रभाववाद की कला का प्रमुख चित्रकार रहा।
क्लोड मोने (Claude Monet) का संक्षिप्त जीवन
- क्लोड मोने का जन्म पेरिस (फ़्रान्स) में 1845 में हुआ था।
- शुरू से ही उन्होंने अपने परिवारिक व्यवसाय की अपेक्षा चित्रकार बनाना चुना।
- 15 साल की उमर से मोने ने स्केचिंग शुरू कर दी थी।
- मोने ने अपनी शुरुआती शिक्षा जाक फ़्रांसिस आचर्ड से ली थी।
- जबकि तैलीय चित्रण व उन्होंने दृश्य चित्रकार यूजीन बौडिन (Eugene Boudin) से सिखा।
- यूजीन बौडिन (Eugene Boudin) ने ही उन्हें प्लेन-एयर पेंटिंग से परिचय करवाया।
- 1862 मोने ने स्विस चित्रकार चार्ल्ज़ ग्लेयरे (Charles Gleyre) की चित्रशाला में प्रवेश लिया।
- चार्ल्स ग्लेयर (Charles Gleyre) की चित्रशाला में मोने का परिचय ऑगस्टे रेनॉयर (Renoir), फ्रेडरिक बाज़िल (Frederic Bazille), ऐल्फ़्रेड सिसली (Alfred Sisley), और अन्य भावी प्रभाववादी चित्रकारों से हुआ।
- चार्ल्ज़ ग्लेयरे (Charles Gleyre) की चित्रशाला में इन युवा चित्रकारों ने नए-नए प्रयोग किए।
- जैसे कि स्टूडीओ से बाहर निकल के काम करना व प्रकाश के प्रभावों का अध्ययन आदि। यही आगे चल के प्रभाववाद के रूप में जाना गया।
- मोने दो बार शादी की थी। पहली पत्नी, केमिली, और उनकी दूसरी पत्नी एलिस, अक्सर मॉडल के रूप में काम करती थीं।
- माने का प्रारम्भिक समय आर्थिक तंगी में बिता। किंतु उन्होंने ये समय बेजिल व अन्य मित्रों के सहारे काट लिया।
- 1870 में माने हालैण्ड व इंग्लंड चले गए। वहाँ जा कर वे कांस्टेबल व टर्नर के दृश्य चित्रों से प्रभावित हुए।
- 1871 रायल अकैडमी लंदन ने मोने के चित्रों को अस्वीकृत कर दिया।
- इससे खिन्न हो कर माने पेरिस चले गए जहां वे अपनी मृत्यु तक रहे।
मोने (Monet)की कला
- माने एक नयी सोच वाले दृश्य चित्रकार थे। दृश्य चित्रों के प्रिति उनकी लगन, खोज व लगातार बदलते परिवेश में एक ही दृश्य के चित्रण उनको अलग बनाते हैं।
- बचपन में नावों के स्केच बनाए। फिर यूजिन बौडिन (Eugene Boudin)ने उन्हने प्राकृतिक चित्रों की ओर प्रेरित किया।
- शुरुआती समय में यूजिन बौडिन (Eugene Boudin)से ही मोने ने तैल चित्र की तकनीक सीखी।
- मोने ने शुद्ध रंगों के साथ प्रकाश के प्रभावों को बड़े बड़े कैन्वस पर अंकित किया।
- मोने ने छाया के चित्रण में काले रंग के स्थान पर बौंगनी रंगों का प्रयोग किया।
- इंद्र्धनुषिय रंगों के अध्ययन कर परस्पर विरोधी रांगों का प्रयोग किया गया।
- मोने के चित्रों में वस्तु व आकर का महत्व रंगों के महत्व के आगे काम हो गया। अतः चित्र द्वि-आयामी से प्रतीत होने लगे।
- मोने ने चित्र श्रिखला की झड़ी सी लगा दी थी। जहां भी यात्रा करते, वहाँ से चित्र-शृंखला बना लाते थे।
- इनकी यात्राओं के दौरान बनयी गयी पेंटिंग सिरीज़ में ब्राडिगेरा (Bordighera), (Holland), (Antibes) Rouen, Norway (1895), London (1900), Venice (1908) आदि प्रमुख हैं।
- क्लोड मोने (Claude Monet) की मृत्यु के कुछ समय बाद उनके वॉटर-लिली चित्रित-श्रिखला को संरक्षित किया गया।
- फ्रांसीसी सरकार ने पेरिस के ऑरेंजरी में विशेष रूप से निर्मित दीर्घाओं में जल-लिली श्रृंखला स्थापित की।
- जल-लिली श्रृंखला वहाँ आज भी संरक्षित हैं।
प्रभाववाद के जनक के रूप में
जैसा कि हम पिछले विडीओ/लेख में पढ़/देख चुके हैं कि प्रभाववाद का उदय कैसे हुआ था। पिछले विडीओ/लेख में बताया जा चुका है कुछ चित्रकारों के चित्रों को वार्षिक प्रदर्शनी में लगातार आस्विकृत किया जा रहा था। वे नवीन आस्विकृतचित्रकार विचारधारा व तकनीक वाले चित्रकार थे। इन अस्वीकृत चित्रकारों में असंतोष था। अतः इन अस्वीकृत चित्रकारों की अलग से एक प्रदर्शनी आयोजित की गयी। इस प्रदर्शनी का शीर्षक “अज्ञात चित्रकारों, मूर्तिकाओं व रेखा कलाकरों की परिषद” रखा गया। इस प्रदर्शनी में एक सो पैंसठ चित्रों को प्रदर्शित किया गया।
इस प्रदर्शनी की कला समीक्षकों ने बहुत आलोचना की। इन्हीं समीक्षकों में से एक लुई लेराय ने भी समाचार पत्र ल शारिवारी में अपनी समीक्षा प्रकाशित की। लुई ने मोने के चित्र (इम्प्रेशन सनराइज़) को आधार बना कर अपनी समिखा के लेख का मुख्य शीर्षक नाम प्रभाववादियों की प्रदर्शनी दिया। इस शीर्षक को चित्रकारों व दर्शकों ने समान रूप से स्वीकार किया। अतः इस प्रकार प्रभाववाद का औपचारिक सूत्रपात हुआ। प्रभाववाद की पहली कृति मोने की इम्प्रेशन सनराइज़ (Impression, Sunrise) को माना गया। इस प्रकार इस कला आंदोलन का जनक भी क्लोड मोने (Claude Monet) को माना गया।
चित्र ऋंखला बनाने वाला चित्रकार
- बताया जा चुका है कि क्लोड मोने (Claude Monet) ने चित्र श्रिखला की झड़ी सी लगा दी थी।
- जहां भी यात्रा करते, वहाँ से चित्र-शृंखला बना लाते थे।
- उनकी बनयी चित्रश्रिखला से उनके कला के प्रति समर्पण, लगन व काम के प्रति नियमितता देखाता है।
- लगातार खुले आसमान के नीचे बैठ कर काम करना किसी तपस्या से काम नहीं।
- लेकिन ऐसी तपस्या क्लोड मोने (Claude Monet) ने सफलतापूर्वक की।
- एक ही दृश्य पर प्रकाश के प्रभाव को उन्होंने अलग-अलग मौसम में अपने केनवास पर उतरा।
- निश्चित रूप में उनकी चित्र-ऋंखला उनकी कढ़ी-लगन का परिचायक है।
- इनकी यात्राओं के दौरान बनयी गयी पेंटिंग सिरीज़ में ब्राडिगेरा (Bordighera), (Holland), (Antibes) Rouen, Norway (1895), London (1900), Venice (1908) आदि प्रमुख हैं।
निष्कर्ष
क्लोड मोने (Claude Monet) प्रभाववाद का सबसे प्रमुख चित्रकार था। जो स्थान जेरिको का रोमांसवाद में, और गुस्तव कुर्वे का यथार्थवाद में था, वही स्थान क्लोड मोने (Claude Monet) का प्रभाववाद में हैं। व्यक्तिगत रूप से क्लोड मोने (Claude Monet) बहुत ही मेहनती चित्रकार था। कला के प्रति उनकी मेहनत व लगन उनके चित्रित-श्रिखला से साबित होती है। उनके द्वारा बनाया गया चित्र इम्प्रेशन सनराइज़ ने प्रभावाद की नीव रखी थी। अतः क्लोड मोने (Claude Monet) का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
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