भारत की नई शिक्षा नीति में समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning ) का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning ) सभी वर्ग व सभी परिवेश के बच्चों को समान शिक्षा देने का एक प्रयास है। इस शिक्षा के माध्यम से एक ऐसे क्लासरूम कल्पना की जा रही है जहाँ हर बच्चा समान शिक्षा ग्रहण करे. चाहे वह किसी भी परिवेश, भाषा, या क्षमता का हो। अतः भारत की नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) Inclusive Learning के द्वारा इस सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास कर रही है।
इस लेख में हम ये जानने का प्रयास करेंगे कि कैसे समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning ) काम करेगी। चलिए इसको निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझने का प्रियस करते है:
- समावेशी शिक्षा क्या है?
- NEP 2020 के तहत समावेशी शिक्षा हेतु बदलाव
- समावेशी शिक्षा की आवश्यकता
- निष्कर्ष
Watch full Video on Art Integration Learning
समावेशी शिक्षा क्या है? (What is Inclusive Learning?)
समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning) का मतलब है – हर छात्र को सीखने के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है, भले ही वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, भाषा या शारीरिक क्षमता से सम्बंधित हो! यह एक ऐसी शिक्षा पद्धति है, जो किसी भी बच्चे का साथ नहीं छोड़ती है और सभी क़िस्म के बच्चों को एक साथ लेकर चलने का उद्देश्य रखती है। कहने का मतलब है कि किसी भी क़िस्म के बच्चे, खासकर स्पेशल चाइल्ड व विकलांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा के समान अवसर प्रदान करवाना है.
NEP 2020 के अनुसार समावेशी प्रथाओं (inclusive Learning Practices) का अर्थ है कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ, न्यायसंगत और समावेशी होनी चाहिए, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, लिंग, विकलांगता या भौगोलिक स्थिति कुछ भी हो। इन प्रथाओं (Practices) का उद्देश्य बाधाओं को दूर करना और समान अवसर प्रदान करना है।

NEP 2020 के तहत समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning) हेतु बदलाव
अब बात करते हैं कि NEP 2020 शिक्षा को अधिक समावेशी यानी कि और ज़्यादा Inclusive बनाने के लिए कौन-कौन से बड़े बदलाव ला रही है! चलिए एक एक कर के इनको समझते हैं:
शिक्षा तक समान पहुँच
एनईपी 2020 के अंतर्गत inclusive लर्निंग का लक्ष्य सभी तबके के बच्चों को शिक्षा तक पहुँच बनाना है. अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और विकलांग बच्चों जैसे हाशिए पर पड़े समूहों सहित समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देती है। in fact समाज के सभी वर्गों के बच्चों की पहुँच में शिक्षा होना चाहिए. इस लिए NEP २०२० के ये उद्देश्य सराहनीय है.
लैंगिक समावेश (Gender Inclusion)
नयी शिक्षा नीति में शिक्षा को लौंगिक भेद को समाप्त करने वला बनाया गया है. जिससे कि लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके. इस काम के लिए लैंगिक समावेशन कोष का प्रस्ताव किया भी गया है। निर्धारित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर शिक्षा में लैंगिक अंतर को कम करने के लिए प्रयास किए गए हैं। अतः नयी शिक्षा नीति सभी लैंगिक भेद को ख़त्म कर के तीनों जेंडर को समान शिक्षा प्रादन करती है.
मातृभाषा, स्थानीय या जनजातीय भाषा में शिक्षा
अब बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ सकते हैं, जिससे सीखना आसान और प्रभावी होगा! अपनी खुद की लैंग्विज में कोई भी चीज़ समझना अन्य भाषाओं में समझने के मुक़ाबले ज़्यादा आसान व सुविधाजनक होता है. इस लिए लोकल लैंग्विज में चीजों को पढ़ना बच्चों में सीखने की सम्भावनाओं को निश्चित रूप से बढ़ा देगा. मेरा मानना है कि ये एक अच्छा कदम है, जो चीजों को सीखने में नकेवल सहयोगी होगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय भाषा को बढ़ावा भी देगा.
विशेष आवश्यकता वाले व विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा
- NEP 2020 में विशेष बच्चों व विकलांग बच्चों की शिक्षा को ले कर काफ़ी गंभीर है।
- इन विशेष व विकलांग बच्चों को मुख्य धारा में लाए बिना inclusive लर्निंग बेकार हो जयगा।
- NEP2020 की कई ख़ास बातों में से एक बात इंक्लूसिव लर्निंग की भी है।
- इंक्लूसिव लर्निंग की अवधारणा के ज़रिए विशेष व विकलांग पर ख़ासतौर पर फ़ोकस किया गया है।
- यही वजह है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अपने स्कूलों के लिए स्पेशल एजुकेटर की पोस्ट सृजित कर दी है।
- जल्द ही आपको केंद्रीय विद्यालयों में प्राइमरी व सेकोंडोर्य सेक्शन में स्थायी पद पर एक-एक स्पेशल एजुकेटर देखने को मिल जाएँगे।
- अतः अब शिक्षा में और अधिक संसाधन, और प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराए जाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

ड्रॉपआउट दरों में कमी लाना
हमारी शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ी चुनौती कुछ बच्चों का बीच में ही शिक्षा को छोड़ना रहा है. समावेशी शिक्षा स्कूल छोड़ चुके बच्चों दुबारा शिक्षा की ओर लाने का प्रयास भी है। खास तौर पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को वापस लाने में विशेष ध्यान दिया जा रहा हैं। बच्चा हर स्थिति में अपनी शिक्षा पूरी करे, इसको ध्यान में रख के कई शिक्षिक योजनाएँ तैयार की जा रहीं हैं। जैसे कि ओपन स्कूलिंग, व्यावसायिक शिक्षा, ऑनलाइन शिक्षा व शिक्षा में लचीलापन आदि. उम्मीद है कि नयी शिक्षा नीति बच्चों को बीच में ही शिक्षा छोड़ने के दर को कम कर सके।
लचीला पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली
- समावेशी शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में लचीला पाठ्यक्रम व लचीली परीक्षा प्रणाली की बहुत ज़रूरत है।
- ज़रूरी नहीं के सभी बच्चे एक ही तरह की पढ़ाई करें। सबकी क्षमता व रुचि अलग अलग होती है।
- अब नयी शिक्षा नीति सभी के लिए एक ही तरह की पढ़ाई ज़रूरी नहीं मानती।
- नयी शिक्षा नीति के अनुसार अब हर छात्र को अपनी क्षमता के अनुसार सीखने का मौका मिलना चाहिए।
- इस लिए अब उच्च शिक्षा में सीखने वालों के लिए अलग-अलग प्रवेश और उनके निकास के भी अलग-अलग विकल्प के बारे में कहा गया है।
- जैसे कि व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम पर काम किया जयगा।
- ये उन बच्चों के लिए लाभकरी होगा जो पारंपरिक शिक्षा में सहज नहीं है।
डिजिटल शिक्षा से सबको जोड़ना
आज के समय में डिजिटल शिक्षा का बहुत महत्व है। डिजिटल शिक्षा दूरदराज़ के बच्चे को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बेहतरीन पढ़ाई करवाने में सहयोगी है। समावेशी शिक्षा के तहत ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जयगा। डिजिटल शिक्षा ज़्यादा प्रभावी रहे इसके लिए क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री को तैयार किया जयगा। जिससे कि अधिक से अधिक लोगों तक शिक्षा पहुँच सके। ख़ासकर वंचित व मुख्य धारा से कटे हुए लोगों तक। डिजिटल शिक्षा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को शिक्षा में समावेश किया जा सकता है।
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता
- आज के भारतीय परिवेश में समावेशी शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। भारत एक भिन्नताओं वला देश हैं।
- यह जाति, धर्म, भाषा, व क्षेत्र के आधार पर कई सारे अंतर पाए जाते हैं।
- ऐसे में समावेशी शिक्षा इन सभी भिन्नताओं की नज़र अन्दाज़ करके सबके लिए समान शिक्षा उपलब्ध करने का प्रयास करेगा।
- इसके अतिरिक्त समावेशी शिक्षा सभी को समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास है।
- यह हर बच्चे को समान अवसर देने, विविधता को अपनाने और आगे बढ़ने में मदद करती है।
- NEP 2020 एक ऐसा भविष्य का सपना देख रही है जहाँ शिक्षा वास्तव में हर किसी के लिए हो।

निष्कर्ष
नयी शिक्षा नीति में उल्लेखित समावेशी शिक्षा एक सक्रिय उपाय है। यदि यह अपने उद्देश्य में सफल रहता है तो शिक्षा में क्रांति ला सकता है। इसके प्रयासों से वास्तव में छात्रों को कई सारे लाभ प्राप्त हो सकते हैं। दखने वाली बात यह है कि इसको किस प्रकार प्रयोग में लाया जाता है। कैसे इससे अधिक से अधिक लाभ शिक्षर्थियों तक पहुँचाए जा सकते हैं। उम्मीद करते हैं समावेशी शिक्षा अपने उद्देश्यों में सफल रहे।
Top
Related Posts
- Inclusive learning | समावेशी शिक्षा
- Indian Miniature Painting | भारतीय लघु चित्रकला
- Digital Art | डिजिटल आर्ट
- Chitrasutra | चित्रसूत्र क्या है?
- Post Impressionism Art | उत्तर प्रभाववाद की कला
- Art Practice Set 1 | कला का अभ्यास सेट-1
- Neo-Impressionism | नव-प्रभाववाद की कला
- Claude Monet क्लोड मोने | प्रभाववादी चित्रकार Impressionist Artist
- Practice Set of Impressionism Art | प्रभाववाद की कला